बीते महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत हासिल कर महायुति गठबंधन ने सत्ता हासिल करने का रास्ता तो साफ़ कर लिया है, लेकिन इस गठबंधन के आगे की डगर आसान नहीं नजर आ रही है। भले ही भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति के सहयोगी दल अपने बयानों में भाजपा नेता देवेन्द्र फडणवीस के नामित मुख्यमंत्री बनने पर रजामंदी दर्शा रहे हों लेकिन इन सब के बीच शिवसेना (शिंदे) गुट ने बड़ा अल्टीमेटम दे दिया है।
दरअसल, शिवसेना (शिंदे) नेता उदय सामंत ने गुरुवार को कहा कि अगर निवर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ नहीं लेते हैं तो पार्टी का कोई भी निर्वाचित विधायक नई महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पद नहीं लेगा।
सामंत ने कहा- शिवसेना (शिंदे) अपने रुख पर अडिग
पत्रकारों से बात करते हुए सामंत ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य सरकार में पार्टी का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए शिंदे को उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई जानी चाहिए।
शिवसेना (शिंदे) नेता ने कहा कि पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि शिंदे उपमुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं लेंगे तो कोई भी शिवसेना विधायक मंत्री पद स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि पार्टी अपने रुख पर अडिग है। उन्होंने यह भी कहा कि शिंदे ने उपमुख्यमंत्री पद स्वीकार करने पर अभी कोई फैसला नहीं किया है और एक घंटे में इस पर निर्णय लेंगे।
देवेन्द्र फडणवीस का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय
भाजपा विधायक दल के नेता देवेन्द्र फडणवीस का मुख्यमंत्री पद की शपथ लेना तय है, लेकिन इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे या नहीं। वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजित पवार के भी आगामी सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की उम्मीद है।
शपथ ग्रहण समारोह गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य भाजपा नेताओं की उपस्थिति में मुंबई में होगा।
महायुति गठबंधन के पास है भारी बहुमत
20 नवंबर को महाराष्ट्र में हुए चुनावों में भाजपा ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की और 288 विधानसभा सीटों में से 132 सीटें हासिल कीं, जो राज्य में उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। अपने सहयोगियों एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी के साथ भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन के पास 230 सीटों का भारी बहुमत है।
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क्या शिंदे नाखुश हैं?
एकनाथ शिंदे पिछले शुक्रवार को सतारा जिले में अपने पैतृक गांव के लिए रवाना हुए थे। ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे नई सरकार के गठन के तरीके से नाखुश हैं। रिपोर्टों से पता चला है कि कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सतारा के दारे में अपने गांव वापस जाकर मुख्यमंत्री के रूप में दूसरा कार्यकाल न दिए जाने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। हालांकि, शिंदे ने अपनी यात्रा के पीछे किसी भी राजनीतिक मकसद को खारिज करते हुए कहा कि यह व्यस्त चुनाव प्रचार के बाद आराम की जरूरत है ।