पासपोर्ट-वीजा होने के बावजूद बांग्लादेश से भारत न जा सके 63 इस्कॉन भिक्षु, अधिकारियों ने किया वापस

बीते रविवार को अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना सोसायटी (इस्कॉन) के 63 सदस्यों को बेनापोल सीमा क्रॉसिंग पर रोक दिया गया, जबकि उनके पास उचित पासपोर्ट और वीज़ा थे। आव्रजन अधिकारियों ने इस्कॉन भक्तों को उनकी यात्रा के लिए आधिकारिक स्वीकृति की कमी का हवाला देते हुए प्रवेश से मना कर दिया।

‘इस्कॉन भक्तों  के पास नहीं थी सरकारी अनुमति’

बेनापोल इमिग्रेशन पुलिस के प्रभारी अधिकारी इम्तियाज अहसानुल कादर भुइयां ने कहा कि उन्हें उच्च अधिकारियों से निर्देश मिले थे कि उन्हें सीमा पार करने की अनुमति न दी जाए। उन्होंने कहा कि इस्कॉन भक्तों के पास वैध पासपोर्ट और वीजा तो थे, लेकिन उनके पास सरकारी अनुमति नहीं थी। भुइयां ने कहा कि यात्रा के उद्देश्यों को लेकर संदेह के कारण हमने 54 यात्रियों को भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी, लेकिन 9 इस्कॉन भक्तों के दूसरे समूह का कोई उल्लेख नहीं किया।

भक्तों की यात्रा को बताया अनाधिकृत

बांग्लादेश के अलग-अलग इलाकों से 54 इस्कॉन भक्तों का एक समूह और 9 भक्तों का एक और समूह शनिवार रात और रविवार सुबह के बीच चेकपॉइंट पर पहुंचा। आगे बढ़ने के लिए मंजूरी के लिए घंटों इंतजार करने के बाद, उन्हें बताया गया कि उनकी यात्रा अधिकृत नहीं है। इस्कॉन के सदस्य सौरभ तपंदर चेली ने कहा कि हम भारत में एक धार्मिक समारोह में भाग लेने जा रहे थे, लेकिन आव्रजन अधिकारियों ने सरकारी अनुमति न होने का हवाला देते हुए हमें रोक दिया।

यात्रा प्रतिबंध पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए चेली ने कहा कि मैं भारत में एक धार्मिक समारोह में भाग लेने आया था। लेकिन आव्रजन अधिकारियों ने मुझे बिना कोई स्पष्टीकरण दिए वापस भेज दिया।

इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष ने बांग्लादेशी अधिकारियों पर उठाए सवाल

इस बीच, इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने वैध दस्तावेजों के बावजूद इस्कॉन भिक्षुओं को भारत की यात्रा करने से रोकने के बांग्लादेशी अधिकारियों के फैसले पर सवाल उठाया। राधारमण दास ने कहा कि बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति को देखते हुए, उन्होंने भारत में तीर्थयात्रा के लिए इस अवधि को चुना। लेकिन शनिवार को 9 और रविवार को 54 को बीजीबी ने रोक दिया। उन्हें बताया गया कि इस समय भारत की यात्रा करना उनके लिए असुरक्षित है और उन्हें वापस जाने के लिए कहा गया। मुझे बस आश्चर्य है कि वैध वीजा और अन्य दस्तावेज होने के बावजूद उन्हें किस आधार पर दूसरे देश जाने से रोका जा सकता है?

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार चरम पर

इस वर्ष अगस्त में शेख हसीना को अप्रत्याशित तरीके से हटाए जाने के बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार चरम पर हैं, वहीं 27 नवंबर को बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद से हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ गए हैं। उन्हें देशद्रोह के संदेह में ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हिरासत में लिया गया था। उनकी गिरफ्तारी से समर्थकों में भारी विरोध हुआ।

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अभियोजन पक्ष का दावा है कि 25 अक्टूबर को चिन्मय कृष्ण दास ने और अन्य ने चटगाँव में एक विरोध प्रदर्शन में बांग्लादेशी झंडे के ऊपर भगवा झंडा फहराया था। बांग्लादेशी अधिकारियों ने चिन्मय दास सहित इस्कॉन से जुड़े 17 व्यक्तियों के बैंक खातों पर 30 दिनों के लिए रोक लगा दी।