अजित पवार ने पटना में शरद पवार साथ साथ विपक्षी दलों की बैठक पर तंज कसा। आपको बता दे, उन्होंने कहा कि राजधानी दिल्ली और पंजाब जिनके पास है, वो दोनों मुख्यमंत्री वहां बैठे थे। वहां कुछ न कुछ बात ख़राब हुई और वो निकल गए। स्टालिन खाने के लिए भी नहीं रुके। ये तीनों मुख्यमंत्री होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए भी नहीं रुके। उन्होंने तंज कस्ते हुए कहा …ऐसे देश नहीं चलता है। पहले भी हम देख चुके हैं कि कई प्रधानमंत्री आए, लेकिन अब लगता है कि 2024 में भी मोदी सर ही जीतकर आएंगे। जब देश में मोदी के अलावा कोई और विकल्प नहीं है तो उन्हें समर्थन देने में क्या बुराई है।
‘भाजपा को समर्थन देने ही हुई थी की बात’
जानकारी के मुताबिक आपको बता दे, अजित पवार ने कहा कि साल 2017 में कुछ अच्छा कर अलग करने का प्रयास हुआ था और उससे पहले साल 2014 में हमें प्रफुल्ल पटेल ने बताया कि हम बाहर से भाजपा को पूरा समर्थन देने को तैयार हैं। आगे उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यममंत्री बने तो हमें बताया गया कि शपथ विधि कार्यक्रम में हमें वहां मौजूद रहना है। हम वहां गए और वहां प्रधानमंत्री से मिले। उन्होंने हमसे हालचाल पूछा। जब भाजपा के साथ नहीं जाना था तो हमें वहां क्यों भेजा गया था?
‘2019 में पांच बार हुईं बैठक’
अजित ने आगे कहा कि साल 2019 के चुनाव के बाद एक उद्योगपति के घर में अहम चर्चा हुई थी। तकरीबन पांच बार बैठकें हुईं। मुझे बताया गया कि वहां कुछ बोलना नहीं है। उसके बाद अचानक सब बदल गया। हमें बताया गया कि हम शिवसेना के साथ जाएंगे। साल 2017 में साहेब बोले कि शिवसेना जातिवादी है इसलिए उनके साथ नहीं जाना। साल 2019 में तो हम शिवसेना के साथ सत्ता में आ गए। तब शिवसेना नहीं चल रही थी, अब शिवसेना चल गई? जब हम सरकार में थे तो शिंदे अलग भूमिका में थे। हमने उद्धव ठाकरे को बताया कि कुछ तो हो रहा है, लेकिन उन्होंने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया। जब एकनाथ शिंदे ने अलग होने का फैसला लिया और गुवाहाटी चले गए, तब हमने 51 विधायकों के साथ भाजपा को समर्थन देने का प्रस्ताव दिया, लेकिन वरिष्ठों ने इस पर फैसला नहीं लिया।