रेल हादसे पर कांग्रेस लगातार हमलावर, पीएम मोदी से किए 9 सवाल

शुक्रवार की शाम ओडिशा के बालासोर में इस दशक की सबसे भीषण रेल दुर्घटना घटी। अब तक इस रेल हादसे में 289 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि घायलों की संख्या लगभग 1200 हो गई है।एक तरफ राहत और बचाव कार्य जारी है तो दूसरी तरफ हादसे को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने इस भीषण हादसे को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से 9 सवाल पूछे हैं। इसके साथ ही उन्होंने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को बर्खास्त करने की मांग भी की है। सुरजेवाला ने कहा- रेल मंत्री ने सिग्नल सिस्टम में फेलियर को लेकर गंभीर चेतावनी को इग्नोर क्यों किया। उन्होंने यह भी कहा कि रेल मंत्री का ध्यान रेलवे और आम आदमी की सुरक्षा के बजाय मार्केटिंग और पीएम मोदी को खुश करने में ज्यादा है। सुरजेवाला ने पूछा कि क्या मृतक केवल संख्या हैं या फिर भारत की सबसे खराब रेल हादसे के लिए कोई जिम्मेदार है?

रणदीप के पीएम मोदी से 9 सवाल

1.प्रारंभिक समाचार रिपोर्ट से पता चलता है कि बालासोर रेल हादसा सिग्नलिंग सिस्टम की असफलता के कारण हुआ। लेकिन रेल मंत्री सिगनल प्रणाली की विफलता पर दी गई चेतावनी से बेखबर थे। रेल मंत्री या रेल मंत्रालय इस खबर से बेखबर या लापरवाह क्यों थे।इसका जवाब मिलना चाहिए।

2.हाल ही में कई मालगाड़ियों के पटरी से उतर गईं, जिसमें कई लोको पायलटों की मौत हो गई और वैगन नष्ट हो गए। रेल सुरक्षा की कमियों पर पर्याप्त कदम क्यों नहीं उठाया गया, जिससे मंत्री और रेल मंत्रालय को उचित उपाय करने के लिए मजबूर होना पड़ता?

3.क्या ये सही नहीं है कि रेल मंत्री को रेल सुरक्षा पर ध्यान देने के बजाय मार्केटिंग और प्रधान मंत्री को खुश करने की अधिक चिंता है?

क्या रेल मंत्री भी यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के कठिन काम को देखने के बजाय प्रधानमंत्री से वंदे भारत ट्रेनें शुरू कराने, रेलवे स्टेशनों के नवीनीकरण और राजस्व बढ़ाने में व्यस्त हैं?

क्या यही कारण है कि रेल मंत्री ने 2 जून, 2023 को चिंतन शिविर में रेलवे सुरक्षा पर प्रेजेंटेशन को छोड़ दिया और वंदे भारत ट्रेनों के लॉन्च और राजस्व में वृद्धि पर ध्यान केंद्रित किया?

4.क्या “रेलवे सुरक्षा” की बढ़ती चूक आवश्यक मानव संसाधन – गैंग मैन, स्टेशन मास्टर, लोको पायलट आदि जैसे पैदल सैनिकों की उपलब्धता की कमी के कारण नहीं है?

क्या ये सही नहीं है कि रेलवे द्वारा दिए गए एक आरटीआई जवाब के अनुसार 39 रेलवे जोनों में से अधिकांश के पास आवश्यक मानव संसाधन की कमी है?

क्या ये सही नहीं है कि रेलवे में ग्रुप सी के 3,11,000 पद खाली हैं जिससे रेल सुरक्षा के साथ-साथ परिचालन क्षमता भी खतरे में है?

क्या ये सही नहीं है कि रेलवे में 18,881 राजपत्रित संवर्ग के पदों में से 3,081 पद खाली पड़े हैं?

कर्मचारियों की गैरमौजूदगी में प्रभावी व सुरक्षित संचालन कैसे संभव है?

5.क्या ये सही नहीं है कि पिछले वर्ष ऐसी 35 दुर्घटनाओं की तुलना में वर्ष 2022-23 में 48 “ट्रेन दुर्घटनाएं” (जान, मॉल आदि के नुकसान के मामले में गंभीर परिणाम वाली रेल दुर्घटनाएं) देखी गईं?

6.कवच नामक ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली – TCAS को सभी रेलवे क्षेत्रों में क्यों लागू नहीं किया गया है?

रेल सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी?

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7.रेल मंत्रालय ने रेल सुरक्षा आयोग की शक्तियों को कम करके उसको महत्वहीन बना दिया है?

8.क्या ये सही नहीं है कि कैग रिपोर्ट 2021 में कहा गया है कि “राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष” की 20% राशि गैर-सुरक्षा उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया गया था और पर्याप्त राशि का उपयोग नहीं किया गया था?

9.रेल मंत्री पर IT और टेलीकॉम जैसे बड़े मंत्रालयों का भी बोझ क्यों है, जिसे चलते उनके लिए रेलवे दूसरे नंबर काम काम हो गया है और सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं?

भारत जैसे देश में रेलमंत्री को सिर्फ एक ही विभाग का जिम्मा मिलना चाहिए ताकि उनका पूरा ध्यान इसी को सुदृढ़ करने में लगा रहे।