थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई मार्च 2023 में घटकर 29 महीने के निचले स्तर 1.34 प्रतिशत पर आ गई है। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, थोक मुद्रास्फीति में गिरावट मुख्य रूप से विनिर्मित वस्तुओं और ईंधन के दामों में कमी के चलते हुई है। हालांकि इस दौरान खाद्य वस्तुओं की महंगाई बढ़ी है। मार्च 2023 लगातार 10वां महीना है जब थोक मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई है। डब्ल्यूपीआई आधारित मुद्रास्फीति फरवरी 2023 में 3.85 प्रतिशत और मार्च 2022 में 14.63 प्रतिशत थी। इस बीच खाद्य वस्तुओं की महंगाई फरवरी के 3.81 प्रतिशत से बढ़कर मार्च में 5.48 प्रतिशत पर पहुंच गई।
जानिए इसके पीछे की वजह
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा कि मार्च 2023 में मुद्रास्फीति की दर में कमी की मुख्य वजह बुनियादी धातुओं, खाद्य वस्तुओं, कपड़ा, गैर-खाद्य वस्तुओं, खनिजों, रबड़ एवं प्लास्टिक उत्पादों, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, कागज और कागज से बने उत्पादों के दामों में कमी आना है। गेहूं और दाल के मामले में मुद्रास्फीति क्रमश: 9.16 प्रतिशत और 3.03 प्रतिशत रही जबकि सब्जियां 2.22 प्रतिशत सस्ती हुईं। तिलहन की महंगाई दर मार्च, 2023 में 15.05 प्रतिशत घटी। ईंधन और बिजली क्षेत्र में महंगाई फरवरी के 14.82 प्रतिशत से कम होकर मार्च, 2023 में 8.96 प्रतिशत रह गई। विनिर्मित उत्पाद 0.77 प्रतिशत सस्ते हुए जिनकी महंगाई दर पिछले महीने 1.94 प्रतिशत थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति भी मार्च में घटाकर 15 महीने के निचले स्तर 5.66 प्रतिशत पर आ गई जो फरवरी में 6.44 प्रतिशत थी।
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बता दें जब सरकार ने WPI से जुड़े फरवरी के आंकड़े जारी कर दिए थे। तब भी महंगाई में कमी देखी गई थी। आंकड़ों के मुताबिक फरवरी में थोक महंगाई (Wholesale Inflation) में 25 महीनों में सबसे कम दर्ज की गई। फरवरी में यह 3.85 फीसदी रही, जबकि फरवरी 2022 में थोक महंगाई 13.43 फीसदी रही थी। थोक महंगाई में गिरावट की एक प्रमुख वजह निर्माण वस्तुओं के अलावा ईंधन और बिजली की कीमतों में गिरावट को बताया गया है। बेस्ड महंगाई में गिरावट का यह लगातार नौवां महीना है, जब थोक महंगाई में गिरावट आई है। जनवरी महीने में थोक महंगाई 4.73 फीसदी थी। जो कि फरवरी में घटकर 4 प्रतिशत से भी कम आ गई। इससे पहले दिसंबर 2022 में थोक महंगाई की दर 4.95 फीसदी और नवंबर 2022 में 5.85 फीसदी रही थी। बताया जा रहा है कि खाने पीने की थोक कीमतों में गिरावट के साथ ही ईंधन की कीमतों में कमी ने महंगाई से राहत दी है।