मध्य केरल के त्रिस्सूर जिले में स्थित एक इस्लामिक शिक्षण संस्थान में सफेद वस्त्र पहने छात्र अपने हिंदू गुरुओं की चौकस निगाहों के तहत संस्कृत में ‘श्लोक’ और ‘मंत्र’ का पाठ करते हैं, जो इसको अलग बनाता है. यहां कक्षा में गुरुओं और शिष्यों के बीच संवाद भी संस्कृत में ही होता है. मलिक दीनार इस्लामिक कॉम्प्लेक्स (MIC) द्वारा संचालित एकेडमी ऑफ शरिया एंड एडवांस्ड स्टडीज (ASAS) के प्राचार्य ओनाम्पिल्ली मुहम्मद फैजी कहते हैं कि संस्कृत, उपनिषद, पुराण आदि पढ़ाने का उद्देश्य छात्रों में अन्य धर्मों के बारे में ज्ञान और जागरूकता पैदा करना है.
एमआईसी एएसएएस में छात्रों को संस्कृत पढ़ाने के पीछे एक अन्य और मुख्य कारण, फैजी की अपनी शैक्षणिक पृष्ठभूमि थी, क्योंकि उन्होंने शंकर दर्शन का अध्ययन किया है. उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘इसलिए, मैंने महसूस किया कि छात्रों को अन्य धर्मों और उनके रीति-रिवाजों और प्रथाओं के बारे में पता होना चाहिए. लेकिन आठ साल की अवधि में संस्कृत के साथ-साथ ‘उपनिषद’, ‘शास्त्र’, ‘वेदांतम’ का गहन अध्ययन संभव नहीं है. इसलिए विचार इनके बारे में बुनियादी ज्ञान प्रदान करना और दूसरे धर्म के बारे में जागरूकता पैदा करना है.’
उन्होंने कहा कि कक्षा 10 पास करने के बाद छात्रों को आठ साल की अवधि में भगवद गीता, उपनिषद, महाभारत, रामायण के महत्वपूर्ण और चुनिंदा अंश संस्कृत में पढ़ाए जाते हैं. इन ग्रंथों का चयनात्मक शिक्षण इसलिए है, क्योंकि संस्था मुख्य रूप से एक शरिया कॉलेज है, जहां आर्ट्स स्ट्रीम में डिग्री कोर्स के अलावा उर्दू और अंग्रेजी जैसी अन्य भाषाओं को भी पढ़ाया जाता है, क्योंकि यह कालीकट विश्वविद्यालय से संबद्ध है. अकादमिक कार्यभार बहुत ज्यादा है. इसलिए, हम ऐसे छात्रों को लेते हैं जो इसे संभाल सकते हैं और सख्त मानकों को भी बनाए रख सकते हैं. छात्रों के एडमिशन के लिए एक प्रवेश परीक्षा होती है.
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प्रिंसिपल फैज़ी ने कहा, जबकि छात्रों के माता-पिता या किसी और से कोई आपत्ति नहीं होती है, एक बड़ी चुनौती छात्रों को संस्कृत, भगवद गीता, उपनिषद आदि को ठीक से पढ़ाने के लिए अच्छे गुरु की तलाश है. इसीलिए हम सात साल पहले ही संस्कृत पढ़ाना शुरू कर पाए थे और यही कारण है कि हमारी सात में से केवल इस शाखा में संस्कृत पढ़ाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमारे यहां एक उत्कृष्ट फैकल्टी है, जिन्होंने छात्रों के लिए एक अच्छा पाठ्यक्रम तैयार किया है. प्रिंसिपल ने कहा कि छात्रों की ओर से भी उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है क्योंकि उन्होंने संस्कृत सीखने में रुचि दिखाई है.