भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत औपचारिक रूप से 2 सितंबर को नौसेना में शामिल हो गया। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगभग एक साल के समुद्री परीक्षण पूरा करने के बाद नौसेना को सौंप दिया है। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन भी मौजूद रहे।
पीएम मोदी क्या बोले:
बता दें कि आईएनएस विक्रांत करीब 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। भारत के समुद्री इतिहास में यह अब तक का सबसे बड़ा जहाज है। वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने इसे पानी पर तैरता शहर बताया और कहा, इसके बेस में स्टील भी स्वदेशी हैं। यह एक तैरता हुआ शहर है, ये एयरफील्ड है। इसमें जितनी बिजली पैदा होती है उससे 5 हजार घरों को रोशन किया जा सकती है। इसमें इतने केबलों का इस्तेमाल हुआ है कि वह कोच्चि से काशी पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है बल्कि 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
उन्होंने कहा, हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी के आंदोलन में जिस सक्षम, समर्थ और शक्तिशाली भारत का सपना देखा था। विक्रांत उसी का जीता जागता रूप है। पीएम मोदी ने कहा, अगर समंदर और चुनौतियां अनंत हैं तो भारत का उत्तर है-विक्रांत। आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय योगदान है-विक्रांत।
पीएम मोदी ने कहा कि इस तरह के एयरक्राफ्ट कैरियर सिर्फ विकसित देश ही बनाते थे। आज भारत इस लीग में शामिल होकर विकसित राज्य की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि आज 2 सितंबर, 2022 की ऐतिहासिक तारीख को, इतिहास बदलने वाला एक और काम हुआ है। आज भारत ने गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है। आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है।
पीएम मोदी ने कहा कि विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। पीएम मोदी ने कहा कि INS विक्रांत के हर भाग की अपनी एक खूबी है, एक ताकत है, अपनी एक विकासयात्रा भी है। ये स्वदेशी सामर्थ्य, स्वदेशी संसाधन और स्वदेशी कौशल का प्रतीक है। इसके एयरबेस में जो स्टील लगी है, वो स्टील भी स्वदेशी है।
पीएम मोदी ने कहा कि केरल के समुद्री तट पर पूरा भारत एक नए भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बन रहा है। INS विक्रांत पर हो रहा यह आयोजन, विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है।
स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर IAC विक्रांत का नाम 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर पर रखा गया है। इसका वजन 45 हजार टन है। भारत से पहले सिर्फ पांच देशों ने 40 हजार टन से ज्यादा वजन वाला एयरक्राफ्ट कैरियर (Aircraft Carrier) बनाया है। केरल के कोचीन शिपयार्ड पर तैयार किए गए इस विमान वाहक पोत से नौसेना की ताकत दोगुनी होगी।
क्या है आईएनएस विक्रांत में अहम:
262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़े आईएनएस विक्रांत में 30 विमान हो सकते हैं
इसमें मिग-29K लड़ाकू जेट और हेलीकॉप्टर शामिल हैं
युद्धपोत में लगभग 1,600 के चालक दल की जगह होगी
इसकी लंबाई दो फुटबॉल मैदानों से अधिक है
इसमें कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट, डेटा नेटवर्क और इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम आदि शामिल हैं
इसमें अत्याधुनिक रडार हैं, जो 500 किलोमीटर की दूरी तक के क्षेत्र को स्कैन कर सकते हैं
आईएनएस विक्रांत के पास शुरुआत में मिग लड़ाकू विमान और कुछ हेलिकॉप्टर होंगे
विक्रांत की अधिकतम गति 28 समुद्री मील की होगी और इसकी अधिकतम रेंज 7,500 नॉटिकल मील हैविक्रांत एयरक्राफ्ट कैरियर एके 630 रोटरी कैनन के साथ-साथ कवच एंटी-मिसाइल नेवल डिकॉय सिस्टम से भी लैस होगा
विक्रांत की अधिकतम गति 28 समुद्री मील की होगी और इसकी अधिकतम रेंज 7,500 नॉटिकल मील है
अभी भारत के पास केवल एक विमानवाहक पोत है, आईएनएस विक्रमादित्य, जो एक रूसी प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है
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इसकी ऊंचाई 59 मीटर है और पोत में 2,300 से अधिक कम्पार्टमेंट होंगे
महिला अधिकारियों के लिए इसमें विशेष केबिन शामिल होगा
स्वदेशी रूप से एक विमान वाहक डिजाइन और उसके निर्माण करने की क्षमता वाले देशों में भारत भी शामिल।