नोएडा की एक सोसायटी में दो पड़ोसियों के बीच हुआ विवाद योगी सरकार के लिए झमेला बन चुका है। श्रीकांत त्यागी विवाद में जहां भाजपा सरकार पहले देरी से कार्रवाई को लेकर घिरी तो अब ‘ज्यादा सख्ती’ को लेकर फंसती नजर आ रही है। इस घटना के सहारे पश्चिमी यूपी में ‘जातिवाद की आग’ भड़काने की भी पूरी कोशिश की जा रही है। इस लड़ाई में फायदा किसका होगा यह तो पता नहीं, लेकिन नुकसान साफ तौर पर भाजपा को होता दिख रहा है। यही वजह है कि श्रीकांत के खिलाफ बेहद आक्रामक रुख दिखाने वाले सांसद महेश शर्मा भी अब बैकफुट पर नजर आ रहे हैं और उनके सुर बदल गए हैं।
दरअसल, नोएडा में श्रीकांत त्यागी की गालीबाजी का वीडियो वायरल होने और फिर सोसायटी में उसके कुछ समर्थकों के हंगामे के बाद जिस तरह योगी सरकार ने उसके खिलाफ बुलडोजर उतारा, रासुका जैसे सख्त प्रावधानों के तहत इनाम घोषित करते हुए कार्रवाई की उसके बाद विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया। त्यागी समाज के कुछ संगठन श्रीकांत के समर्थन में उतर आए और उसे विक्टिम के रूप में पेश करने लगे। कहा जाने लगा कि सोशल मीडिया पर ‘इलीट क्लास’ के नैरेटिव में आकर सरकार ने श्रीकांत पर जरूरत से ज्यादा कार्रवाई कर दी।
शुरुआत में ऐसा माना गया कि श्रीकांत के समर्थन में उसके कुछ समर्थक बोल रहे हैं। लेकिन बेहद खामोशी से पश्चिमी यूपी के कई जिलों में त्यागी बिरादरी के बीच बड़ा मुद्दा बन चुका है। नोएडा से सटे यूपी के कई जिलों में इन दिनों लोगों को लामबंद किया जा रहा है। 21 अगस्त को नोएडा के गेझा गांव में महापंचायत का ऐलान किया गया है और इसमें जिस तरह ‘ताकत’ दिखाने की तैयारी हो रही है, उसने पुलिस की भी चिंता बढ़ा दी है। पुलिस इस बात को लेकर माथापच्ची में जुटी है कि किस तरह इन लोगों को नोएडा में घुसने से रोका जाए। सोशल मीडिया पर वायरल एक ऑडियो में कथित तौर पर त्यागी समाज का नेता यह कहते हुए भी सुना जा सकता है कि बड़ी संख्या में लोग मरने-मारने पर उतारू होकर आ रहे हैं। सरकार 21 से पहले श्रीकांत त्यागी पर लगी सख्त धाराओं को हटा ले।
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बीजेपी को क्या नुकसान?
एक तरफ जहां त्यागी समाज के लोग श्रीकांत त्यागी के समर्थन में एकजुट हो रहे हैं तो दूसरी तरफ अग्रवाल बिरादरी उसके खिलाफ लामबंद है। ऐसे में भाजपा दोनों को मनाने में जुटी है। इन दोनों ही बिरादरी का वोट भाजपा को मिलता रहा है और पश्चिमी यूपी के कई जिलों में ये काफी प्रभावी हैं। ऐसे में भाजपा के लिए ‘एक तरफ कुआं, एक तरफ खाई’ वाली स्थिति बन गई है। एक को मनाओ तो दूसरा रुठ जाएगा। राजनीतिक जानकारों की मानें तो भाजपा ने दोनों ही बिरादरी के नेताओं को मनाने के लिए पुरजोर कोशिश शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक सफलता मिलती नहीं दिख रही है। यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा की गुटबाजी भी इसके लिए जिम्मेदार है।