सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमण का मानना है कि राजनैतिक दल चाहते हैं कि अदालत उनके एजेंडे का समर्थन करे। पर न्यायपालिका संविधान के प्रति जवाबदेह है। लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका को लेकर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए चीफ जस्टिस एनवी रमण ने कई महत्वपूर्ण बातें कहीं।
संयुक्त राज्य अमेरिका में कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को में एसोसिएशन ऑफ इंडो-अमेरिकन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत में सत्ताधारी पार्टी का मानना है कि हर सरकारी कार्रवाई न्यायिक समर्थन की हकदार है। वहीं विपक्षी दल भी न्यायपालिका से अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने की उम्मीद करते हैं। पर अदालत संविधान के तहत चलती है ना कि किसी एजेंडे के तहत। चीफ जस्टिस ने इस बात पर भी निराशा व्यक्त की कि आजादी के 75 साल बाद भी लोग संविधान द्वारा प्रत्येक संस्थान को सौंपी गई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को समझ नहीं पा रहे हैं।
चीफ जस्टिस ने कहा कि गांव में रहने वाले लोग आज भी अपनी जिम्मेदारी का पालन अधिक अच्छे से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि ग्रामीण भारत में मतदाता अपने शहरी,शिक्षित और संपन्न समकक्षों की तुलना में बेहतर तरीके से कार्य को कर रहा है। उन्होंने कहा कि व्यवस्था में समाज के सभी वर्गों के विश्वास को बनाए रखने के लिए विविध पृष्ठभूमि से योग्य प्रतिभाओं को सम्मानित करना भी आवश्यक है।