हावड़ा के आमता थाना क्षेत्र मुस्लिम छात्र नेता अनीस खान की मौत Bengal Howrah Student Death का मामला गरमाया गया है. माकपा, कांग्रेस, वामपंथी छात्र संगठन और वामपंथी समर्थित बुद्धिजीवी इस हत्या को लेकर सड़क पर उतर गये हैं और लगातार इसके खिलाफ आंदोलन करते हुए दोषियों को सजा देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इस मामले पर हंगामा करने पर बीजेपी (BJP) ने सवाल उठाया है और पूछा है कि क्या मुस्लिम (Muslim) होने के कारण ही राज्य में एक हत्या होने पर इतना हंगामा किया जा रहा है, जबकि बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के 200 से ज्यादा कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है, लेकिन इनमें एक एफआईआर भी नहीं होता है. एक दोषी को सजा भी नहीं दी गई है. वास्तव में यह मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति है. माकपा और कांग्रेस मुस्लिमों को खुश करने में लगे हैं.
आरोप है कि पुलिस की वर्दी पहने लोगों ने अनीस को छत से फेंक दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी. इसे लेकर राज्य की राजनीति गरमा गई है. कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान से लेकर विरोधी दल के विभिन्न नेता अनीस खान के पिता और परिवार से जाकर मुलाकात की थी. आमता में सुबह से ही माहौल गरम है और दोषियों को सजा देने की मांग को लेकर जुलूस निकाले जा रहे हैं. एसएफआई ने इसके खिलाफ आंदोलन का ऐलान किया है. अनीस खान के परिवार ने मौत के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है. अनीस के पिता ने सीबीआई जांच की मांग की है.
मुस्लिम होने के कारण बनाया जा रहा है मुद्दा
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने टीवी 9 हिंदी से बातचीत करते हुए कहा, “आप लोगों को याद होगा रिजवानुर की हत्या का मामला. यह बहुत बड़ा पॉलिटिकल मुद्दा बना था, जबकि वह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं था. वह केवल एक मुस्लिम था. सीपीएम का राज था. ममता बनर्जी ने मुद्दा बनाकर मुस्लिम वोट को अपनी ओर किया था. आज ठीक मामला उल्टा पड़ा है. हत्या हुई है. इसकी जांच होनी चाहिए.दोषी को सजा मिलनी चाहिए. लेकिन उससे बड़ी बात है कि इस मामले में लोग रोटी सेंकने लगे हैं. उल्टा हो रहा है. ममता बनर्जी का राज है, तो सीपीएम इसे मुद्दा बना रही है. मुस्लिमों को लुभाने की कोशिश कर रही है. माकपा इसे मुद्दा बना रही है, क्योंकि वह मुस्लिम था. इसलिए इस मामले को तूल दिया जा रहा है.”
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बीजेपी कार्यकर्ताओं की होती है हत्या, नहीं दर्ज होता एक FIR भी
दिलीप घोष ने कहा,” चुनाव के बाद बीजेपी के 200 कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है. एक एफआईआर नहीं होता है. सड़क पर कोई बुद्धिजीवी नहीं उतरता और राजनीतिजीवी नहीं सामने आते हैं. मुसलमान की हत्या हुई है, तो यह मामला तूल पकड़ा है. यहां कुछ भी होता तो रेडिकल फोर्स, कट्टरपंथी ताकतें और मुस्लिम एक हो जाते हैं, जैसा कि किसान आंदोलन को अपने हाथ में ले लिया था, लेकिन वह आंदोलन किसानों का नहीं था. ज्यादातर राष्ट्रविरोधी ताकतें हैं. सरकार को संकट में डालने के लिए और देश में अफरा-तफरी मचाने के लिए इस तरह के हंगामे करते हैं. टुकड़े-टुकड़े गैंग सभी जगह हैं और एक साथ मिल जाते हैं और एक हवा बनाते हैं. यह बोलना मुश्किल है कि घटना क्या थी? इस मामले की जांच हो, क्योंकि यहां की पुलिस पर किसी का भरोसा नहीं है. एक हत्या के मामले का एफआईआर नहीं होता है. बीजेपी के लगभग 200 लोगों की हत्या हुई है, लेकिन एक को सजा नहीं मिली है. यहां पुलिस कुछ भी कर सकती है. यह पूछे जाने पर क्या इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सीबीआई छोड़ कर यहां तो कुछ होता नहीं है.”