अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर निर्वासित सरकार के गठन की घोषणा की है। सालेह ने यह घोषणा स्विट्जरलैंड से की है।
सालेह का बयान दूतावास ने किया जारी
सालेह ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी उनके साथ नहीं है और न वो अफगानिस्तान में हैं। एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए सालेह ने कहा कि मैंने निर्वासित सरकार का गठन किया है जो पूरी दुनिया के लिए कानूनी तौर पर अफगानिस्तान की सर्वमान्य सरकार होगी। स्विटजरलैंड स्थित अफगानिस्तान दूतावास ने भी सालेह का यही बयान जारी किया है। इसे दुनिया की ज्यादातर न्यूज एजेंसी और दूतावासों को फैक्स के जरिए भेजा गया। बयान में कहा गया है कि तालिबान ने अफगानिस्तान में जो सरकार बनाई है, इंटरनेशनल लॉ के हिसाब से उसका कोई वजूद नहीं है। साथ ही न वो अफगान लोगों का प्रतिनिधित्व करती है। निर्वासित सरकार के बारे में संबंधित लोगों से बातचीत की गई है। हमारे मुल्क पर इस वक्त बाहरी लोगों का कब्जा है।
बयान में कहा गया कि पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ने के बाद उनके पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह देश की कमान संभालेंगे। इसमें एक्टिव एग्जीक्यूटिव्स, ज्यूडिशियल्स और लेजिसलेटिव पॉवर्स वाले लोग होंगे।
सालेह के अलावा कार्यवाहक सरकार में किसी नेता या अफसर का नाम अभी सामने नहीं आया है। पंजशीर में तालिबान को चैलेंज करने वाले अहमद शाह मसूद का नाम भी कहीं नहीं है।
बयान के अनुसार, सरकार की तीन शक्तियां कार्यकारी, न्यायिक और विधायी जल्द ही सक्रिय हो जाएंगी। इसके साथ ही उन्होंने अहमद मसूद के नेतृत्व में तालिबान विरोधी मोर्चा को अपने समर्थन की भी घोषणा की और कहा कि अफगानिस्तान के सभी दूतावास और वाणिज्य दूतावास सामान्य रूप से कार्य करेंगे।
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वहीं तालिबान ने मंगलवार को कहा था कि वे मोहम्मद जहीर शाह के युग से अस्थायी रूप से संविधान को अपनाएंगे, जिसे 57 साल पहले अनुमोदित किया गया था। देश से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के बीच तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया था।