लखनऊ।
मिशन शक्ति के जरिए प्रदेश की महिलाओं के कदम स्वावलंबन की राह पर तेजी से बढ़ रहे हें इस वृहद अभियान से एक ओर महिलाओं को संबल मिला है दूसरी ओर उनको सरकार की स्वर्णिम योजनाओं से जुड़ने का मौका भी मिल रहा है। प्रदेश की बेटियां और महिलाएं लघु कुटीर उद्योग से जुड़कर अपनी जैसी तमाम दूसरी महिलाओं की जिंदगी को संवार रही है। हैंडीक्राफ्ट, जूट, परिधानों का कार्य कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रहीं हैं।
बनारस की रहने वाली शारदा सिंह ने बताया कि पिछले साल कोरोना की पहली लहर में जरूरतमंद परिवारों की महिलाओं को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने के लिए जूट से बने उत्पादों का काम शुरू किया। इस काम से अब तक 100 महिलाओं को कम समय में जोड़ लिया है। उन्होंने बताया कि मेरी इस कार्य से मेरी प्रति माह एक लाख तक की आय हो जाती है। उन्होंने बताया कि योगी सरकार की योजनाओं से प्रदेश में पारंपरिक स्वदेशी इकाफ्रेंडली उत्पादों के जरिए प्लास्टिक मुक्त प्रदेश की ओर कदम तेजी से बढ़ रहे हैं। ओडीओपी के जूट के बैग, कुल्हड़, मूंज के उत्पाद की अब बाजारों में मांग बढ़ रही हैं।
भयमुक्त होकर ग्रामीण महिलाएं कर रही काम
आगरा की पूजा ने बताया कि हैंडिक्राफ्ट के काम को पहचान तब मिली जब 24 जनवरी 2018 को प्रदेश सरकार ने इसे ओडीओपी में शामिल करा दिया। मुझे पांच लाख रुपए तक का लोन राज्य सरकार द्वारा ओडीओपी के तहत मिला है। इस योजना के शुरू होने से पहले जहां मैं केवल 50 पीस तैयार कर पाती थी वहीं अब प्रतिदिन 500 पीस तैयार करती हूं। उन्होंने बताया कि सजावटी सामान, इम्यूनिटी गुड़, अचार, हैंडिक्राफ्ट, दीए, मोमबत्ती जैसे उत्पादों की मांग यूएस, दुबई समेत देश के अलग-अलग राज्यों में बढ़ गई है। ओडीओपी से मांग और उत्पादन में 60 से 80 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है वहीं अब मेरे साथ 500 महिलाएं अपने स्वरोजगार के सपने को पूरा कर पाई हैं। उन्होंने कहा कि ओडीओपी के साथ अब योगी जी के ‘मिशन शक्ति’ अभियान से ग्रामीण महिलाएं भयमुक्त होकर काम कर पाएंगी।
देवरिया से लेकर नाइजीरिया तक यूपी के झालर झूमर की धूम
देवरिया के विवेक सिंह ने बताया कि डेकोरेटिव हैडिक्राफ्ट और बैंबू लाइट का व्यापार करता हूं। उन्होंने बताया कि हमारे द्वारा तैयार की गई लाइट, झूमर और झालर की मांग नाइजेरिया, दुबई समेत देश के अलग राज्यों में मांग बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि मिशन शक्ति और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस योजना के तहत सीधे तौर पर 3000 महिलाओं को रोजगार दिया है। इसके साथ ही देवरिया और दूसरे राज्यों में ग्रो सेंटर बनाकर महिलाओं को एक ही छत के नीचे ट्रेनिंग दी जा रही है।