अफगान से अमेरिकी फौजों की वापसी के बाद तालिबान जश्न मना रहा है। लेकिन सैनिकों ने जाने से पहले तालिबान को दर्द दे गए हैं।
कई चीजों को किया नष्ट
अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान से वापसी कर ली है। लेकिन अमेरिका ने जाते-जाते भी अफगानिस्तान को तगड़ा झटका दे दिया है। आपको बता दें कि अमेरिकी सेना ने सोमवार को देश छोड़ने से पहले काबुल एयरपोर्ट पर बड़ी संख्या में मौजूद विमानों, सशस्त्र वाहनों और यहां तक की हाईटेक रॉकेट डिफेंस सिस्टम तक को डिसेबल कर दिया है। अमेरिकी जनरल ने इसकी जानकारी दी है।
73 विमानों को किया डमिलिट्राइज्ड
अमेरिका के सेंट्रल कमांड के मुखिया जनरल केनेथ मैकेंजी ने जानकारी देते हुए बताया कि हामिद करजई एयरपोर्ट पर मौजूद 73 विमानों को सेना ने डिमिलिट्राइज्ड कर दिया है, जिसका मतलब है कि अब ये विमान इस्तेमाल नहीं किए जा सकेंगे। उन्होंने कहा, ‘वे विमान अब कभी नहीं उड़ सकेंगे उन्हें कभी भी कोई भी संचालित नहीं कर सकेगा।’ इस तरह के एक वाहन की कीमत करीब 10 लाख डॉलर है।
राष्ट्रपति जो बाइडेन का संबोधन
अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार को पहली बार संबोधित किया। जो बाइडेन ने अफगानिस्तान से फौज की वापसी के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा मिशन सफल रहा। बाइडेन ने कहा कि हमने अफगानिस्तान में 20 साल तक शांति बनाए रखी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हमने जो कार्य किया है वह कोई और नहीं कर सकता था।
लाखों लोगों को अफगानिस्तान से निकाला
बाइडेन ने कहा कि हमने तालिबान की मौजूदगी के बावजूद जो लोग निकलना चाहते थे, उनको वहां से निकाला। हमने एक लाख लोगों को निकाला। इस दौरान काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा भी बनाए रखी। तालिबान को सीजफायर पर मजबूर किया। उन्होंने दावा किया कि हमने वहां से 1.25 लाख से अधिक लोगों को वहां से निकाला।
हम दुनिया को सुरक्षित रखना चाहते हैं
बाइडेन ने कहा कि हम दुनिया को सुरक्षित रखना चाहते हैं। सोमालिया और अन्य देशों की स्थिति आपने देखी है। उन्होंने अफगानिस्तान से निकलने को रणनीति का हिस्सा बताया और कहा कि अमेरिकी सैन्य टुकड़ी के बिना वे अपने आपको मजबूत बनाने में कैसे सक्षम होंगे, ये आने वाला समय बताएगा।
अमेरिका का हित हमारा मिशन
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हम ऐसा कह सकते हैं कि अभी हमारा काम पूरा नहीं हुआ है। दो दशक पहले की परिस्थितियों में हमने जो उचित समझा वो निर्णय लिया था। हम चीन से प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे हैं। चीन और रूस हमारे साथ प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ रहे हैं। हमारा मिशन स्पष्ट होना चाहिए और मूल सिद्धांत अमेरिका के हित के आधार पर होना चाहिए।
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