रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत डीजीक्यूए विभाग में छह बाबुओं की भर्ती में हुई धांधली की जांच सीबीआई कर रही है। लखनऊ शाखा के जांच अधिकारियों ने मंगलवार को सीक्यूए (एम) कानपुर में कार्यरत अवर श्रेणी लिपिक अश्वनी राज, कार्यालय अधीक्षक सिराजुद्दीन एवं तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी ओपी शुक्ला से कई घंटे पूछताछ की है।
भर्ती घोटाला मामले में पूछताछ करने में जुटी सीबीआई
सूत्रों के अनुसार पूछताछ में अश्विनी राज ने भर्ती घोटाले में हुए लेन-देन से संबंधित कई राज सीबीआई के समक्ष उगले हैं। दरअसल सीबीआई को अश्विनी राज एवं भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपित डॉ. संतोष कुमार तिवारी की बेटी करिश्मा तिवारी के बीच हुई बातचीत की कॉल रिकॉर्डिंग हाथ लगी है, जिसमें करिश्मा ने अश्वनी से भर्ती घोटाले से सम्बंधित लेनदेन और एक नेता के साथ हुए गठजोड़ से सम्बंधित कई राज बताए थे।
पूछताछ के दौरान सीबीआई ने अश्विनी राज के लैपटॉप और मोबाइल भी जब्त कर लिए। अश्विनी राज से सीबीआई को और जानकारी हाथ लगने की उम्मीद है। इसी तरह सीबीआई ने कार्यालय अधीक्षक के पद पर तैनात सिराजुद्दीन का भी बयान दर्ज किया है। सिराजुद्दीन की बेटी जेवा फिरदौस ने ही भर्ती प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही चयनित होने वाले अभ्यर्थियों के नाम का खुलासा कर दिया था।
इसी कड़ी में तत्कालीन प्रशासन अधिकारी ओपी शुक्ला का भी बयान दर्ज किया गया। विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि इस भर्ती में प्रतिभा मिश्रा का आवेदन पत्र शुरू में ही रिजेक्ट कर दिया गया था जिसे डॉक्टर संतोष कुमार तिवारी के हस्तक्षेप के बाद मंजूर करवाया गया। इस मामले में आगे और कई लोगों से पूछताछ किये जाने की सम्भावना है। सीबीआई भर्ती घोटाले में हुए लेन-देन की जांच में जुटी है। इस मामले में सीबीआई को अब तक कई अहम सुराग हाथ लगे हैं।
रक्षा मंत्रालय के अधीन क्वालिटी एश्योरेंस महानिदेशालय (डीजीक्यूए), रक्षा उत्पादन विभाग ने मार्च, 2015 में लोवर डिवीजन क्लर्क (एलडीसी) के 6 पदों पर भर्तियां की थी। इस बीच जिनका चयन नहींं हो पाया, उन लोगों ने भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए भर्ती बोर्ड के चेयरमैन पर गंभीर आरोप लगाकर जांच की मांग की। इसके बाद रक्षा गुणवत्ता विभाग के महानिदेशक ने आंतरिक विजिलेंस से जांच कराई। चयन प्रक्रिया में अनियमितता पाए जाने पर भर्ती बोर्ड को निरस्त करके नौकरी कर रहे सभी 6 अभ्यर्थियों को बर्खास्त कर दिया गया।
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इसके बाद तत्कालीन अवर निदेशक (सतर्कता) चनन राम सैनी ने 10 अगस्त, 2018 को सीबीआई को एक पत्र लिखकर जांच की सिफारिश की थी। बाद में तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री ने भी भर्ती मामले की जांंच सीबीआई से कराने का आदेश दिया था। रक्षा मंत्रालय की सिफारिश के दो साल बाद भी सीबीआई ने इस भर्ती घोटाले की फाइल दबाए रखी। काफी दबाव पड़ने पर सीबीआई ने 2 जुलाई, 2020 को प्राथमिक जांच करने के लिए मामला (पीई) दर्ज किया है। प्राथमिक जांच में आरोप सही पाए जाने पर सीबीआई इस मामले की एफआईआर दर्ज करेगी।