भगवद् गीता हिन्दू धर्म का प्रमुख ग्रंथ है। हिन्दूओं के सबसे प्रमुख ग्रंथों में भगवद् गीता का नाम आता है। भगवद् गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिये गये उपदेश है। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को योगिराज श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। यही कारण है कि इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है जो इस बार 25 दिसम्बर शुकवार को है।
भगवान श्रीकृष्ण जो कि भगवान विष्णु के अवतार थे। भगवद् गीता हिन्दू के प्रसिद्ध ग्रंथ महाभारत का मुख्य हिस्सा है। महाभारत में पाडवों और कौरवों के बीच धर्म युद्ध हुआ था। तब पांडु के पुत्र अर्जुन ने युद्ध करने से मना कर दिया था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता के उपदेश दिये थे, ताकि अर्जुन ये धर्म युद्ध करें। श्रीकृष्ण द्वारा जो उपदेश अर्जुन को दिये थे, उन श्लोकों को ‘भगवद् गीता’ कहा जाता है। यह उपदेश भगवान श्रीकृष्ण ने कुरूक्षेत्र में दिये थे, इस स्थान पर महाभारत का युद्ध हुआ था।
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को योगिराज श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। यही कारण है कि इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है जो इस बार 25 दिसंबर शुक्रवार को है।
5157 वर्षों के बाद भी गीता उतनी ही प्रासंगिक है जितनी तब थी। आज हर व्यक्ति संसार के युद्ध क्षेत्र में खड़ा है। गीता हमें निराशा से हटकर निरपेक्ष भाव से अपना कर्म करने को सिखाती है। आज के निराशावादी युग में इसी की आवश्यकता है।
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कलयुग के आरंभ से 30 वर्ष पूर्व ही योगिराज श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। इसमें कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं।जिसमें से 574 श्लोक श्रीकृष्ण के , 84 अर्जुन के, 41 संजय के और प्रारम्भ का मात्र एक श्लोक धृतराष्ट्र के मुख से उच्चारित है। जीवन की प्रत्येक समस्या का समाधान गीता में मिलता है।
ब्रिटेन और अमेरिका के विद्यालयों में पाठ्यक्रम में शामिल
ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका ने तो इस ग्रंथ को अपने विद्यालयों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बना लिया है। विभिन्न देशों में इस पर शोध जारी है। 2014 ईस्वी से भारत आने वाले अतिथियों को उपहार स्वरूप गीता ही भेंट की जाती है। 1986 में स्थापित “गीता परिवार” ने इस क्षेत्र में सराहनीय प्रयास किया है। इस परिवार का उद्देश्य छह से 16 आयु वर्ग के बच्चों को गीता कंठस्थ कराना है। मात्र लखनऊ में ही 10 हजार से अधिक छात्रों को इसे कंठस्थ कराया जा चुका है।
आइये इस गीता जयंती को पर्व के रूप में मनायें। योगिराज श्री कृष्ण के बताए मार्ग का अपने जीवन में अनुसरण करें।