शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में आरोपित पूर्व मंत्री पॉर्थ चटर्जी की करीबी और बांग्ला एक्ट्रेस अर्पिता मुखर्जी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. जांच एजेंसी ईडी ने अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट पर छापेमारी कर आधे-आधे किलो के 4 सोने के कंगन बरामद किये हैं. साथ ही 9 नेकलेस, 4 गले के हार, 18 ईयररिंग्स, 5 अंगूठी, 11 चूड़ी, 1 सोने का पेन, 7 गोल्ड बार, 7 सोने की चेन, 1 मांग टीका, 2 पेंडेंट और 1 सोने का सिक्का बरामद किया है. बता दें कि बीते बुधवार को कोलकाता की एक विशेष अदालत ने एसएससी घोटाला मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को तीन दिनों के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस विशेष अदालत से चटर्जी की चार दिनों की और मुखर्जी की भी तीन दिनों की हिरासत मांगी थी. ईडी ने मुखर्जी के आवास से गहनों एवं अन्य बेशकीमती सामान के अलावा करोड़ों रुपये नकद बरामद किए थे. दोनों धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत आरोपों से जूझ रहे हैं. संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विशेष पीएमएलए न्यायाधीश जीवन कुमार साधू ने दोनों आरोपियों की तीन दिनों की ईडी हिरासत मंजूर की. अदालत ने कहा कि दोनों को पांच अगस्त को फिर पेश किया जाए.
जांच अधिकारी को ईडी हिरासत में रहने के दौरान हर 48 घंटे पर आरोपियों की चिकित्सा परीक्षा कराने का इंतजाम कराने का निर्देश दिया गया. वहीं पूर्व मंत्री के वकील ने अपने मुवक्किल के लिए जमानत का अनुरोध किया जबकि मुखर्जी के वकील ने कहा कि उनकी मुवक्किल के लिए अब और ईडी हिरासत की जरूरत ही नहीं है. ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एसवी राजू ने अदालत से कहा कि चटर्जी और मुखर्जी के संयुक्त स्वामित्व वाली कई कंपनियों एवं संपत्तियों का पता चला है और उन दोनों से इस संबंध में पूछताछ की जरूरत है.
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राजू ने दावा किया कि चटर्जी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं जबकि मुखर्जी का रवैया अपेक्षाकृत सहयोगपरक है. न्यायाधीश साधू ने हर आरोपी के वकीलों को पहले दिन ईडी अधिकारियों की मौजूदगी में अपने मुवक्किलों से परामर्श करने की अनुमति दी. चटर्जी को 23 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था. उससे पहले उनकी सहयोगी मुखर्जी के अपार्टमेंट से करोड़ों रुपये नकद, सोना एवं संपत्ति के दस्तावेज मिले थे. अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल ने कहा कि मुखर्जी के दो फ्लैटों से 49.80 करोड़ रुपये नकद मिले हैं. उन्होंने दावा किया कि चटर्जी और मुखर्जी धनशोधन में लिप्त पाये गये क्योंकि वे सरकारी एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों में सहायक शिक्षकों के पदों पर अवैध रूप से भर्ती की आपराधिक साजिश में संलिप्त थे. स्कूल सेवा आयोग के भर्ती अभियान में कथित अनियमितताएं तब हुईं जब चटर्जी राज्य के शिक्षा मंत्री थे.