छत्तीसगढ़ में 3 साल बाद खुली 16 जांच चौकियां, तस्करी पर लगाई गयी रोक

तीन साल पहले आरटीओ बैरियरों में अवैध उगाही की बढ़ती शिकायतों के बाद बैकफुट पर आई पूर्व भाजपा सरकार ने एक झटके में प्रदेश भर की 16 सीमा चौकियों (बैरियर) के साथ फ्लाइंग स्क्वाड को खत्म कर दिया था। शनिवार को कांग्रेस सरकार ने इन बैरियरों को फिर से खोलने की घोषणा कर दी है। नईदुनिया ने एक साल पहले ही लिखा था कि सरकार बैरियर खोलने की तैयारी कर रही है। बैरियर खोलने के फैसले को लेकर जहां अफसरों का कहना है कि इससे सरकारी खजाना भरेगा, वहीं छत्तीसगढ़ की सीमा (बॉर्डर) से होने वाली गांजा, हथियार समेत अन्य प्रतिबंधित सामान की तस्करी रुकेगी। बिना रोक-टोक सड़कों पर दौड़ रही ओवरलोड गाड़ियों पर शिकंजा कसा जा सकेगा। वहीं ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि फिर से बैरियर में अवैध उगाही का खेल शुरू हो जाएगा। यह गलत फैसला है।

 

याद रहे इन बैरियरों में उगाही की शिकायतें सीधे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भी मिली थीं, इसलिए वर्ष 2017 के बजट सत्र में अनुदान मांगों पर चर्चा करने के दौरान तत्कालीन परिवहन मंत्री राजेश मूणत को यह एलान करना पड़ा था कि अब प्रदेश में कहीं भी बैरियर और फ्लाइंग स्क्वाड नहीं रहेगा, सिर्फ जिला कलेक्टरों से अटैच जांच टीम ही काम करेगी, जो ओवरलोड गाड़ियों पर कार्रवाई करेगी।

गांजा, हथियारों की तस्करी बढ़ गई थी

सूत्रों ने बताया कि आरटीओ बैरियर खत्म करने से ट्रांसपोर्टरों के साथ अवैध गतिविधियों, तस्करी में लिप्त लोगों पर शासन की पकड़ ढीली पड़ गई थी। महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड, उप्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, मप्र व दीगर राज्यों की ओवरलोड गाड़ियां धड़ल्ले से बिना जांच-पड़ताल के छत्तीसगढ़ की सीमा में प्रवेश कर रही थीं। इससे हर महीने लाखों का रोड टैक्स के साथ ईवे बिल का नुकसान सरकार को उठाना पड़ रहा है। वहीं गांजा और हथियारों की तस्करी भी तेजी से बढ़ गई थी। नक्सल प्रभावित राज्य होने के कारण नक्सलियों का शहरी नेटवर्क भी सक्रिय हो गया है। जंगलों तक नक्सलियों को हथियारों की खेप पहुंचाई जाने लगी है।

ये 16 बंद बैरियर फिर से खुलेंगे

पाटेकोहरा, छोटा मानपुर व मानपुर (राजनांदगांव), चिल्फी (कबीरधाम), खम्हारपाली और बागबाहरा (महासमुंद), केंवची (बिलासपुर), धनवार व रामानुगंज (बलरामपुर), घुटरीटोला और चांटी (कोरिया), रेंगारपाली (रायगढ़), शंख व उप जांच चौकी लावाकेरा (जशपुर), कोंटा (सुकमा) और धनपूंजी (बस्तर)।